'सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों....'
पांव चल नहीं थिरक रहे थे चलते चलते पढ़ते हुए
'अभी तक /हसरत ए दीदार की /हद तक नहीं पहुंचा /मैं अब /समझा हूँ ये जा कर / नज़र की इन्तहा /
तुम हो..' सब कुछ अनजान सा था, स्थान, शहर, लोग पर इस गुमनामी में मुख्तलिफ सी तरह की रुमानियत महसूस हो रही थी. सुफियाना रंगों भरी शाम को जीने का तलबगार मन मुद्दतों बाद सिर्फ आज और अभी में था..'देस विदेश में ढूँढ़ फिरी हूँ/ मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी री / आज रंग है ऐ माँ रंग है री,..'
शुक्र है दाता, इस दुनिया में हैँ ऐसे लोग जो संगीत, साहित्य में निहित खूबसूरती, पाकीज़गी, जोड़ने की सलाहियत को सेलिब्रेट करना चाहते हैँ, हैँ ऐसे लोग जो भाषा, धर्म, मज़हब को तंगदिली नहीं बल्कि सौहार्द और स्नेह के अपार समंदर की मानिंद महसूसते हैँ और इस जज़्बे को फैलाने की तांघ रखते हैँ, ऐसी ही शख्सियत मुज़फ्फर अली को सलाम जो 25 सालों से 'जहान -ए -खुसरो ' का आयोजन कर रहे हैँ.
अज़ब बात थी कि कोई त्वकुआत भी नहीं थी कि कैसा होगा ये समारोह, व्यवस्था बस इतना एहसास था कि सुफियाना सुर, ताल के रक्स को सुन्दर सी अम्बियंस में जीने का मौका है, जीयो जी भर के.
मंजरी चतुर्वेदी की अद्भुत थी कत्थक प्रस्तुरी खालिस सूफ़ी रंग में रंगी. साजिन्दे और सह भागी गायक / गायिकाओं के सुरों ने ढलती सांझ में मायावी से रंग भर दिए, संगीत का ऐसा है तिलस्म! मालिनी अवस्थी की याद ए कन्हैया रह रह कर धर्मवीर भारती कि 'कनुप्रिया ' की याद दिलाती रही.
आह..!! सतिन्दर सरताज ने अमीर खुसरौ के फारसी के कलाम ' ज़े हाले मिसकीं मकुन तग़ाफ़ुल/दुराय नैना बनाय बतियाँ/ कि ताबे-हिजरा न दारम् ऐ जां/
न लेहु काहे लगाय छतियाँ॥ का तर्जुमा कर के प्रस्तुत
किया. जब भी सरताज का ' साई' सुनती हूँ तो दंग रह जाती हूँ कि कितनी बारीकी से लिखा और कितनी गहन संवेदना के साथ गया है ये इबादती कलाम ' साईं वे कन्नी किसे गीत दी फड़ाईं / साईं वे सारे लगे दाग वी धोअई , साईं वे सिल्ले - सिल्ले नैना नु सुखाई / साई वे अंदर दे वैन मुकाइन..' अलग सी सादगी, हलीमी और रूहानीयत का सोज़ और गांभीर्य है सतिन्दर सरताज की आवाज़ में.
थैंक्यू मुज़फ्फर अली इस अद्भुत सोच वाले आयोजन के लिए, थैंक यू विमलाजी इस अवसर को खुद 2000 मील दूर बैठे भी मेरे लिए सम्मान के साथ सुलभ कराने के लिए, तेरा शुक्र है दाता कि खुद से कनेक्ट के ऐसे माध्यम बनाए हैँ...' प्रेम बटी का मदवा पिला के, मतवारी कर दीन्ही रे...'
19 टिप्पणियां:
यह ब्लॉग है आपका माननीया, बहुत सुंदर लिखती हैं आप, मैं सरोज दहिया
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, शब्दविन्यास ग़ज़ब और शुकराना भी बेमिसाल।
Uss rumaniyat ko shabdon mein dhaal pane ki kala bhi kamaal hai aap ki. Nissandeh kitna khoobsurat sman rha hoga. Aise kshno ki mureed Hun main. Kaash aise plo mein aap ka sanidhya mil paye 💖💖🙏🙏
बहुत सुन्दर लिखा। बेहद ख़ुशी है, उन पलों को जी भर कर जिया तुमने। संगीत का सरूर, नृत्य की भंगिमाओं में खोए, बारिश की बूँदों में भिगोए,सरताज के सुरों में समाए, खूबसूरत माहौल के आनंद में आनंदित होना स्वयं में ही connect होना हुआ होगा। सुखद पल आते रहें आप उनमें सराबोर सृजन करती रहें, मुस्कुराती रहें, गाती रहें। स्वस्थ रहें, मस्त रहें। असीमित दुआओं एवं शुभकामनाओं सहित
Munna
Awesome Mam while going through your article i felt like i have also been part of this event. I remembered the song of Taal film "Mai prem piyala pee aaya do pal me sadiya jee aaya mai pee aaya mai pee aaya mai ji aayaa...Hoye Hoye Hoyeeee" this is what i can say about your feelings after attending this event. Words are beautifully selected to express the feelings .
Khusro Dariya Prem Ka Ulti va ki Dhaar,Jo taira so doob gya, Jo duba so paar"
aap doob gye aap par ho gyi Mam.
Parnam
बहुत हि सुन्दर लिखा है आपने आपके इस लेख में गंगा जमुनी तहज़ीब की झलक साफतौर पर दिखाई देती है। शब्दों को कितनी सुन्दर माला में पिरोया है जी आपने गज़ब है।
केवल शब्दों से ही इतना सुंदर चित्रण.... कमाल है आपकी लेखनी और सलाम है आपके एहसास। आरती
आप के लेख, आप की सोच, आपका जीवन जीने का नज़रिया सब कुछ अद्भुत है ।।
Beautiful piece ,bringing alive the beauty and bliss.💐
वाह।रेपोर्ट में कलात्मकता और संवेदनशीलता का शानदार उदाहरण।
Bahut khoob kitni khoobsooeti sae chitrit karti hae aapki lekhni jaise sab kuch hamare saamnae hi ho raha Jo ATI sunder priya
अनिर्वचनीय आनंद की अनुभूति के पलों की ऐसी अप्रतिम अभिव्यक्ति आपके ही व्यक्तित्व का हिस्सा है। मुझे स्वयं अपने शामिल होने का बेहद ख़ूबसूरत एहसास हुआ।
बहुत सुन्दर मैम दिल को छू लेते हैं आपके शब्द
बहुत खूबसूरत चित्रण शब्दों से खेलना कोई आपसे सीखे अति सुन्दर
मोनिका 'नूर'
बेहद खूबसूरत लेखनी......
“सकल बन फूल रही सरसों”…..Amazingly used each word which touched. Very inspirational 👏💐
Wah wah. Bahot khoob huzoor.
बहुत सुंदर शब्दों में कहा है।
बहुत उत्साहित लेखन
Bhut sunder shabdon me man ke bhav prakat kiye hain aapne, aapka shukrana, aapki vinamarta, zindagi ke behtareen rangon ko jeene ki aapki samajh ko naman hai!
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